2020-2021
Published on 31 July 2020 Modified on 03 September 2020 719 downloads
जो कभी-कभी यमुनातीर स्थित श्रीवृन्दावनमें संगीतसे लुब्धचित्त होते हैं, जो आनन्दपूर्वक व्रजगोपियोंके मुखकमलका आस्वादन करनेवाले भ्रमर स्वरूप हैं तथा लक्ष्मी-शिव-ब्रह्मा-इन्द्र एवं गणेश आदि देवी-देवताओंके द्वारा जिनके श्रीचरणकमल पूजित होते रहते हैं, वे ही श्रीजगन्नाथ स्वामी मेरे नयनपथके पथिक बन जाएं।
वर्ष—१७ • संख्या—१-३ • प्रबन्ध क्रमांक—१श्रीजगन्नाथाष्टकम् ।
Published on 31 July 2020 Modified on 03 September 2020 702 downloads
"जिनकी कामनायुक्त भक्ति है, वे क्रोधको जय नहीं कर सकते । केवल विवेकके द्वारा क्रोधको जय नहीं किया जा सकता । विषयोंके प्रति आसक्ति कुछ ही क्षणमें विवेकको निष्क्रियकर अपने राज्यमें क्रोधको स्थान प्रदान करती है।"
वर्ष—१७ • संख्या—१-३ • प्रबन्ध क्रमांक—२सहनशीलता और श्रीभक्तिविनोद(श्रील भक्तिविनोद ठाकुर की तिरोभाव तिथि के उपलक्ष्य में)श्रील भक्तिविनोद ठाकुरका वाणी-वैभव
Published on 31 July 2020 Modified on 04 September 2020 636 downloads
जो संसाररूप मृत्युसे मेरी रक्षा करते हैं, वे ही गुरुपादपद्म है।'मैं मर जाऊॅंगा'-इस भयसे, इस आशंकासे जो मेरा उद्धार कर सकते हैं, वे ही सद्गुरु हैं।
वर्ष—१७ • संख्या—१-३ • प्रबन्ध क्रमांक—३श्रीगुरुतत्त्व और श्रील प्रभुपाद (१)श्रील भक्तिसिद्धान्त सरस्वती ठाकुर 'प्रभुपाद' का वाणी-वैभव
Published on 01 August 2020 Modified on 04 September 2020 730 downloads
जो स्वयंको वैष्णव मानता है वह branded अवैष्णव है।जो अपनेको गुरु या श्रेष्ठ मानते हैं, वे गुरु होने के योग्य नहीं हैं। जो अपनेको शिष्य का शिष्य मानते हैं, केवल वे ही गुरु होनेके योग्य हैं।
वर्ष—१७ • संख्या—१-३ • प्रबन्ध क्रमांक—४श्रीगुरुतत्त्व और श्रील प्रभुपाद (२)श्रील भक्तिसिद्धान्त सरस्वती ठाकुर 'प्रभुपाद' का वाणी-वैभव
Published on 02 August 2020 Modified on 03 September 2020 503 downloads
तुम सर्वदा ही सत्यकथाके प्रचारमें व्रती रहना। सत्साहयुक्त व्यक्तियोंकी भगवान् ही सहायता करते हैं। समस्त संसारके द्वारा असत्पथपर चलने पर भी हम उसकी दासता नहीं करेंगे।
वर्ष—१७ • संख्या—१-३ • प्रबन्ध क्रमांक—५श्रीमन्महाप्रभुकि कथाओंका प्रचार ही वास्तव वदान्यता तथा जीवोंके प्रति दया हैश्रीश्रीमद्भक्तिप्रज्ञान केशव गोस्वामी महाराजकी पत्रावली (पत्र-१५)
Published on 02 August 2020 Modified on 03 September 2020 514 downloads
'उडु' अर्थात् नक्षत्र एवं 'प'अर्थात पति, अतः उडुप अर्थात् नक्षत्रपति चन्द्र। चन्द्रकी तपस्यासे प्रसन्न रुद्र-देवताके अधिष्ठान-क्षेत्र के रूप में यह स्थान 'उडुपी' नाम से प्रसिद्ध है।
वर्ष—१७ • संख्या—१-३ • प्रबन्ध क्रमांक—६श्रीगौड़ीय-पत्रिकाका सत्ताइसवाँ वर्षश्रील भक्तिवेदान्त वामन गोस्वामी महाराज वाणी-वैभव
Published on 08 August 2020 Modified on 04 September 2020 467 downloads
सामाजिक कुसंस्कारोंसे, सामाजिक उत्पीड़नसे उठकर महिलाएं दया, परोपकार सत्पंथपरता, वात्सल्य-भाव आदि भारतीय प्राचीन संस्कृतिके अनुरूप सद्गुणों से विभूषित होकर सीता, सावित्री, द्रौपदीके समान बन सके-ऐसा प्रयास कर सको तो अच्छा है।
वर्ष—१७ • संख्या—१-३ • प्रबन्ध क्रमांक—७तुम्हारा जीवन भार न होकर सर्वप्रकारसे सुखमय एवं सार्थक होश्रील भक्तिवेदान्त नारायण गोस्वामी महाराजके पत्रामृत
Published on 20 August 2020 Modified on 03 September 2020 553 downloads
जिस प्रकार अनजानेमें या जानबुझकर यदि कोई व्यक्ति कुसंगके प्रति आसक्त होकर कुसंग करता है,तो कुसंग का फल अवश्य ही उस व्यक्तिमें परिस्फुट होगा। उसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति साधुके प्रति आसक्त होकर साधुसंग करता है,तो साधुसंगकी जो महिमा है,वह उस व्यक्तिमें अवश्य प्रवेश करेगी।
वर्ष—१७ • संख्या—१-३ • प्रबन्ध क्रमांक—८हमारा एक परम-बान्धव अवश्य होना चाहिएश्रील भक्तिवेदान्त नारायण गोस्वामी महाराजके हरिकथामृत-सिन्धुका एक बिन्दु
Published on 02 January 2021 Modified on 27 February 2021 516 downloads
Published on 13 December 2020 Modified on 27 February 2021 493 downloads
Published on 02 September 2020 Modified on 03 September 2020 655 downloads
माला किस समुचित पद्धतिसे समर्पितकी जाती है,मैं तुम्हें इसकी शिक्षा दूॅंगा।
श्रील गुरुदेव-स्मरण-मंगल-कणिकाएंवर्ष—१७ • संख्या—१-३ • प्रबन्ध क्रमांक—९
Published on 04 August 2021 894 downloads
श्रीश्रीभागवत-पत्रिका वर्ष-१७ संख्या १-४ विषय-सूची
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